निकल पड़ा था मै घर से
ढूँढने अपना भगवान
दिखी सड़क पर मेरी इन्सानियत
दबी हुई कूड़े के नीचे
नज़र चुरा के मैं चला हौले हौले
कहीं देख ना ले वो मुझको
लग जाये ना अनंत बेगार इन्सानो की
रह जाये ना भगवान
बोली कराह कराह के
मुझी से मेरी इन्सानियत
ढो रहा है तू अपनी लाश
जब तक मेरी बुनियाद नहीं तुझमे
नहीं टिकेगा कोई भगवान॥
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